मेरा नाम कान्हा चुराता हूं मैं माखन। किसी का हूं सखा में, किसी का हूं साजन। मैं छोटी सी उंगली पे,श्री गिरिराज उठाता हूं। मैं राधे-राधे कह कहके हर पल में सिखाता हूं। मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।
लगे जो चोट भक्तों को, तो संग में मैं भी रोता हूं।लगे जो चोट भक्तों को, तो संग में मैं भी रोता हूं। सखा जो हो सुदामा सा, चरण में धोकर पीता हूं। मैं जय जय हूं यह प्रेम में सबके भूल जाता हूं। मैं पूरे ब्रज में उछल कूद कर गाए चराता हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।
मेरे वश में नहीं भक्तों से अपने, दूर रह पाना।मेरे वश में नहीं भक्तों से अपने, दूर रह पाना। इन्हीं के प्रेम से संभव, मेरा यह लीला रच पाना। मैं दो दांतों के मुख से ही ब्रह्मांड दिखाता हूं। एक फूंक मार कर असुरों को मैं सैर कराता हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।
मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।मैं जय जय मुरली वाला हूं।