तर्ज, तुम्हीं मेरे मंदिर
मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की। जमाने की मुझको परवाह नहीं है। दीवानी हूं मैं खाटू वाले के नाम की।मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की।
दुनिया के दर्द गम की मारी हुई हूं। हारे का सहारा तो मैं हारी हुई हूं।दुनिया के दर्द गम की मारी हुई हूं। हारे का सहारा तो मैं हारी हुई हूं। पुजारन हुई तन मन से उनके में नाम की।आंखों में बस गई सूरत है श्याम की। मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की।
स्वर्ग है उन्हीं के चरणों में मेरा। वह दीपक है मेरे मन का मैं हूं अंधेरा।स्वर्ग है उन्हीं के चरणों में मेरा। वह दीपक है मेरे मन का मैं हूं अंधेरा। उन्हीं से सवेरा वही शक्ति है शाम की।आंखों में बस गई सूरत है श्याम की। मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की।
श्याम के में पास हूं श्याम के करीब हूं। बताओ तो मुझे थोड़ा कैसी गरीब हूं।श्याम के में पास हूं श्याम के करीब हूं। बताओ तो मुझे थोड़ा कैसी गरीब हूं। बदल देगी किस्मत मुन्ना, फागुन के धाम की।आंखों में बस गई सूरत है श्याम की। मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की।
मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की। जमाने की मुझको परवाह नहीं है। दीवानी हूं मैं खाटू वाले के नाम की।मेरे मन के मंदिर में मूरत है श्याम की। आंखों में बस गई सूरत है श्याम की।