तर्ज, पालकी में होकर सवार चली रे
वह बुला रहा कैसे रोक लूं, मैं तो चला खाटू धाम, खाटू धाम। हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।हाथों में लेकर निशान चला रे ,मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।