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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Seth ho ya sahukar by saurabh madukar,तु क्यों भटक रहा है सेठ साहूकार के,dadi bhajan

तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।

कितना ही बड़ा सेठ हो कैसा हो साहूकार। राजा हो किसी देश का चाहे हो जमीदार।कितना ही बड़ा सेठ हो कैसा हो साहूकार। राजा हो किसी देश का चाहे हो जमीदार। सब हाजिरी लगाते हैं मैया के द्वार पे।जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।

मैया से मांगने में नहीं घटती शान है। फिर भी न रखना पड़ता कोई भी समान हैमैया से मांगने में नहीं घटती शान है। फिर भी न रखना पड़ता कोई भी समान है। रखती ना पडति हुंडी, पूंजी उधार के।जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।

मैया के देने का भी है, अंदाज निराला। थकती नहीं यह चाहे थके, मांगने वाला।मैया के देने का भी है, अंदाज निराला। थकती नहीं यह चाहे थके, मांगने वाला। झंझट मिटा यह देती सोनू बार-बार के।जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।

तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के।तु क्यों भटक रहा है सेठ, साहूकार के। जो चाहे मांग दादी से, झोली पसार के।

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