तर्ज, मेरे रश्के कमर
मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है। मौज ही मौज है अब तो हर रोज है, मेरा श्याम कन्हैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।
श्याम के छत्रछाया में पलता हूं मैं। और इसके इशारे पर चलता हूं मैं।श्याम के छत्रछाया में पलता हूं मैं। और इसके इशारे पर चलता हूं मैं।में रिझाता इसे, यह निभाते मुझे, मेरी राह दिखाइया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।
इसकी मस्ती में हर रोज रहता हूं मैं ।और भाव के झरनों में बहता हूं मैं।इसकी मस्ती में हर रोज रहता हूं मैं ।और भाव के झरनों में बहता हूं मैं। गीत गाता हूं मैं ,गुनगुनाता हूं मैं ,बंशी का बजईया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।
मेरी नैया भंवर में ना फ़स्ती कभी। देख कर अचंबा है करते सभी।मेरी नैया भंवर में ना फ़स्ती कभी। देख कर अचंबा है करते सभी। बिन्नू कहता है यह, निर्भय रहता है यह, नैया का खेवईया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।
मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है। मौज ही मौज है अब तो हर रोज है, मेरा श्याम कन्हैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है। मौज ही मौज है अब तो हर रोज है, मेरा श्याम कन्हैया मेरे साथ है।मैं तो हूं बेफिक्र मुझको काहे का डर, मेरी बिगड़ी बनैया मेरे साथ है।