अब के बरस की यह दिवाली, राजा राम जी के साथ मनाएंगे। वन से नहीं मेरे राम जी अब की, महल से चलकर आएंगे।महल से चलकर आएंगे। संग में लेकर सीता लक्ष्मण, हनुमत भी संग आएंगे। फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।
जिन पर कृपा हो रघुनंदन की, वह लोग निराले होते हैं। मन पावन है तब ही तेरे घर, प्रभु जी चलकर आते हैं।प्रभु जी चलकर आते हैं। पाप मिटाने अपने नयन से, खुशियां लूटाने आएंगे।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।
चाहे बना लो महल अटारी, चाहे सजा दो 10 पकवान। रघुराई को झोपड़ी प्यारी, झूठे बेर और दिल में प्यार।झूठे बेर और दिल में प्यार। रूप बदलकर तेरी चौखट पर, एक दिन राम जी आएंगे।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।
अब के बरस की यह दिवाली, राजा राम जी के साथ मनाएंगे। वन से नहीं मेरे राम जी अब की, महल से चलकर आएंगे।महल से चलकर आएंगे। संग में लेकर सीता लक्ष्मण, हनुमत भी संग आएंगे। फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।फूलों से सजेगा मेरा आंगन, पधारेंगे मेरे भगवन।