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Maa ka mann by Vishal Mishra Manoj muntashir,कौन हराए उसे बेटे को जिसने मां का मन जीता,durga bhajan

मैं पर्वत ना चढ़ा तो क्या, जगदंबा मेरे घर पर है। सौ तीर्थ का है पुण्य मिला, मां के पैरों में सर है। यही लिखा है वेदों में यही बताती है गीता। कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने माता का मन जीता।

मां ने सजाया हमको जैसे, ऐसे सजा के रखना है मां को। राज दुलारा हमको बनाया, रानी बनाकर रखना है मां को। जिस उंगली ने चांद दिखाया वह उंगली ना छोड़ेंगे। मां का दिल है मंदिर जैसा, मंदिर ना तोड़ेंगे। यही ज्ञान है रामलला का ,यही कृष्ण से है सीखा।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने माता का मन जीता।

मंदिर में जो फूल चढ़ाए, वह आंगन में भी हो अर्पण। मां की चौकी घर की चौखट, दोनों ही होते हैं पावन। कान्हा को है जिसने जन्मां, रघुराई है जिसके ललना। वही मंगला माई आई, भेष बदल कर अपने अंगना।वही देवकी वही यशोदा,वही पार्वती सीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।

कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।कौन हराए उसे बेटे को, जिसने मां का मन जीता।

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