गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
ओम गन गणपतए नमो नमः ओम गन गणपतए नमः,ओम गन गणपतए नमो नमः ओम गन गणपतए नमः,
तुम कहो तो चलूँ तुम कहो तो रुकूँ। है सुमिरन से भरी सांसों की ये लड़ी। गजवंदना हे दयामय, हे कृपामय, गजवंदना क्या करूं, मैं हूं दुविधा में, गजवंदना।
यूं तो सारे खड़े, सुख बड़े से बड़े, फिर ये क्या है तड़प जो बुझे ना बुझे। गजवंदना हे दयामय, हे कृपामय, गजवंदना।
जब अका भी दिया, और छका भी दिया। दर बदर ढूंढता क्यों, फिर बावला। गजवंदना हे दयामय ,हे कृपामय ,गजवंदना ।
मैं तो प्रेम करूं, लेन देन नहीं, जो समाधि लगे तो परम पद मिले। गजवंदना हे दयामय, हे कृपामय, गजवंदना क्या करूं मैं ।
हूं दुविधा में गजवंदना हे दयामय, हे कृपामय, गजवंदना। ॐ गं गणपतये नमो नमः ॐ गं गणपतये नमः ॐ गं गणपतये नमो नमः ॐ गं गणपतये नमः