तर्ज, उड़ जा काले कवा
खाटू वाले श्याम प्रभु, मुझे समझ नहीं आता। टूट न जाए रिश्ता अपना ,मन मेरा घबराता । इतनी दूर से बातें तेरी, कानों तक नहीं जाती। दर पे तेरे भीड़ बहुत है ,बातें हो नहीं पाती। तो ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।
इतने सालों तक में बाबा, बोल नहीं पाया। दिल की बातें तेरे आगे, खोल नहीं पाया।इतने सालों तक में बाबा, बोल नहीं पाया। दिल की बातें तेरे आगे, खोल नहीं पाया। मन में है मैं भोग लगाऊं, तेरा लाड लडाऊं। तेरे दर पर भीड़ बहुत है, यह समझ ना पाऊं।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।
खाटू वाले श्याम प्रभु, मुझे समझ नहीं आता। टूट न जाए रिश्ता अपना ,मन मेरा घबराता । इतनी दूर से बातें तेरी, कानों तक नहीं जाती। दर पे तेरे भीड़ बहुत है ,बातें हो नहीं पाती। तो ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।ऐसा करो सांवरिया, घर आजा सांवरिया।