भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।मझधार में मांझी तो मिलेगा, किनारा मिले ना मिले।
सोच समझ जीवन में तूने, क्या खाया क्या पाया।सोच समझ जीवन में तूने, क्या खाया क्या पाया। माटी की एक काया पाकर ,तूं दिन-दिन इतराया। जाने के बाद तुझको यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।मझधार में मांझी तो मिलेगा, किनारा मिले ना मिले।
भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।भज ले श्याम, शायद यह जीवन, दोबारा मिले ना मिले।मझधार में मांझी तो मिलेगा, किनारा मिले ना मिले।