तर्ज, तुम ही मेरे मंदिर
सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां तरस को तुम्हारी। कोई रूप लेकर अब चले आओ।नहीं तो निकल जाएगी, जान यह हमारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां दरस को तुम्हारी।
हमें भी सुनो वह धुन बांसुरी की। हमें भी लुभाओ जैसे गोपियां लुभी थी।हमें भी सुनो वह धुन बांसुरी की। हमें भी लुभाओ जैसे गोपियां लुभी थी। गईया चिरैया सब राह देखे, कलयुग में कितनी जरूरत तुम्हारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां दरस को तुम्हारी।
फिर से कहीं कोई यशोदा, डांट लगाये। फिर से कहीं कोई लला माखन चुराये।फिर से कहीं कोई यशोदा, डांट लगाये। फिर से कहीं कोई लला माखन चुराये। हमें तुम सिखा दो गृहस्थी निभाना। बदलेगी दुनिया को लीला तुम्हारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां दरस को तुम्हारी।
प्रेम में राधा, राधा के कृष्ण। दोनों हुए दो प्रेमी, एक हुए ना।प्रेम में राधा, राधा के कृष्ण। दोनों हुए दो प्रेमी, एक हुए ना। फिर भी यह दुनिया कहती राधे कृष्णा। सीखा दो ना हमको ऐसी पवित्रता तुम्हारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां दरस को तुम्हारी।
सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां तरस को तुम्हारी। कोई रूप लेकर अब चले आओ।नहीं तो निकल जाएगी, जान यह हमारी।सुनो श्याम प्यारे, यह विनती हमारी। तरसती है अखियां दरस को तुम्हारी।