रोज रोज का ओलमा क्यों,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।भला घरा को लाडलो,
बदनामी होवे र क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।
गुजरिया का चक्कर में क्यों,पड़ ग्यो रे म्हारा क़ानूडा,रोज रोज का ओलमा क्यो,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।भला घरा को लाडलो,
बदनामी होवे र क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।
गोकुल का कांकड़ में गाया,चरावे म्हारा क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,ल्यावे म्हारा कानुड़ा।भला घरा को लाडलो,
बदनामी होवे र क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।
मने एकली देख मटकी,फोड़े रे म्हारा क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,ल्यावे म्हारा कानुड़ा।भला घरा को लाडलो,
बदनामी होवे र क़ानूडा,रोज रोज का ओलमा क्यो,ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।
जमना नहाती गुजरिया का,चीर चुरावे क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,ल्यावे म्हारा कानुड़ा।भला घरा को लाडलो,
बदनामी होवे र क़ानूडा,
रोज रोज का ओलमा क्यो,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।
रोज रोज का ओलमा क्यों,
ल्यावे म्हारा कानुड़ा।।