सांवरी सूरत मोहन तेरे, मेरे मन में बस जाए। जिसे प्रीत लगी हो गिरधर से, फिर भला कौन बच पाए। हो मैं तो मतवारी बन जाऊंगी। तेरी बंसी के संग रम जाऊंगी। सांझ सवेरे गुण गाउंगी। मीरा के जैसे,मीरा के जैसे, तेरी पुजारन बन जाऊंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।
दिल में कैसी ज्योत जलाई है, कान्हा संग प्रीत लगाई है।दिल में कैसी ज्योत जलाई है, कान्हा संग प्रीत लगाई है। मन में विराजे मोरे,तन में विराजे मोरे, अंग अंग बजे है मधुर बांसुरी। बांके बिहारी मोरे,माधव मुरारी मोरे, अपना बना ले है कहे बावरी। दीवानी हो जाऊंगी तेरे दर पर मर मिट जाऊंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।मीरा के जैसे,मीरा के जैसे, तेरी पुजारन बन जाऊंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।
मीरा के जैसे,मीरा के जैसे, तेरी पुजारन बन जाऊंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।मीरा के जैसे,मीरा के जैसे, तेरी पुजारन बन जाऊंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।सांझ सवेरे गुण गाउंगी।