भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी, मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ॥
जुग जुग से हमने पलके बिछाई, तुम्हरी राह निहारी। तब भाग जगे हैं नाथ हमारे, आई आज सवारी।
हनुमान केसरी मात जानकी, सबके साथ बिराजो। को द्वार खुले हैं आज हृदय के, आओ राम बिराजो।भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी, मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ॥जुग जुग से हमने पलके बिछाई, तुम्हरी राह निहारी। तब भाग जगे हैं नाथ हमारे, आई आज सवारी।
हनुमान केसरी मात जानकी, सबके साथ बिराजो। को द्वार खुले हैं आज हृदय के, आओ राम बिराजो।