सृष्टि के कण कण में तू है ,आदि तू और अंत तू है। मेरे हर एक पल में तू है ,जन्म तू और अंत तू है।शिव है वो,शिव है वो।
धर्म तू और कर्म तू है, जन्म तू और अंत तु है।शिव है वो,शिव है वो।धर्म तू और कर्म तू है। यत्न तू और भस्म तू है।शिव है वो,शिव है वो।सृष्टि के कण कण में तू है ,आदि तू और अंत तू है।शिव है वो,शिव है वो।
भस्म धारी है कपाली भक्ति तेरी चाहूं। मुझ पर कर दे तू कृपा, में ना कहीं खो जाऊं। तेरे चरणों की धूल बन, तुझ में गुम हो जाऊं। धुन में तेरे जग भूलूं मैं गीत तेरे गाऊं। मेरा हर एक गीत तू है, मेरा हर एक राग तू है।शिव है वो,शिव है वो।
सुर भी तू और ताल तू है, स्वर भी तू आलाप तू है।शिव है वो,शिव है वो।आशुतोष शशाँक शेखर,चन्द्र मौली चिदंबरा।
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,कोटि नमन दिगम्बरा।कोटि नमन दिगम्बरा।
जिसने इस संसार हेतु, चंद्र को धारण किया। जीवो का उद्धार उसने, गंगा के जल से किया। सर्व शक्तिशाली जिसने, असुरों का वध किया। जीव धरा के प्राण हेतु ,नीलकंठ ने विष पिया। सर्वशक्तिमान तू है, धरती पर भगवान तू है।शिव है वो,शिव है वो।
वेद तु और ज्ञान तू है, योग तु और ध्यान तू है।शिव है वो,शिव है वो। है वह भोला है भंडारी, सबके दुख वह काटे। बेलपत्र और धतूरा भक्त उन पे चढ़ाते। दूर तू है पास तू है ,सूक्ष्म तू है अपार तू है।शिव है वो,शिव है वो।
धूप तू और छांव तू है, दिन भी तू और रात तू है।शिव है वो,शिव है वो। तंत्र तू और मंत्र तू है, शक्ति तू और शिव भी तू है। शिव भी तू और शिव ही तू है ,शंकर भोलानाथ शिव है।शिव है वो,शिव है वो।शिव है वो,शिव है वो।शिव है वो,शिव है वो।शिव है वो,शिव है वो।शिव है वो,शिव है वो।शिव है वो,शिव है वो।