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Mohe Lagi Lagan Manmohan Se by Devi Chitralekha,मोरी लागी लगन मनमोहन से,krishna bhajan

मोरी लागी लगन मनमोहन से

मोरी लागी लगन मनमोहन से
मोरी लागी लगन मनमोहन से,
छोड़ घर बार ब्रज धाम आए बैठी।
मोरे नैनो से,ओ मोरे नैनो से निंदिया चुराई जिसने,मैं तो नैना उसी से लगाए बैठी।
मोरी लागी लगन मनमोहन से
मोरी लागी लगन मनमोहन से,
छोड़ घर बार ब्रज धाम आए बैठी।


कारो कन्हैया सो काजल लगाई के,
गालों पे गोविंद गोविंद लिखाई के,
गोविंद लिखाई के।कारो कन्हैया सो काजल लगाई के,गालों पे गोविंद गोविंद लिखाई के।
गोकुल की गलियों में गोपाल ढूँढू
मैं बावरी अपनी सुध बुध गवाई के।
मिल जाए रास बिहारी मैं जाऊं वारी वारी।
कह दूं नटखट से बात जिया की सारी,
बात समझेगो,बात समझेगो मेरी बिहारी। कभी
यह शर्त में खुदी से लगाए बैठी।
ऐसी लागी लगन मनमोहन से,छोड़ घर बार ब्रज धाम आए बैठी।


जो हो सो हो अब ना जाऊं पलट के,
बैठी हूं कान्हा की राहों में डट के।
राहों में डट केजो हो सो हो अब ना जाऊं पलट के।बैठी हूं कान्हा की राहों में डट के।
जब तक ना मुखड़ा दिखाए सलोना,
काटूंगी चक्कर यूं ही बंसी बट के।
उस मोर मुकुट वाले से गोविंदा से ग्वाले से,
मन बाँध के रखना है उस मतवाले से।
जाने आ जाएं,जाने आ जाएं कब चांद वो सामने।भोर से ही मैं खुद को सजाए बैठी।
मोरी लागी लगन मनमोहन से
छोड़ घर बार ब्रज धाम आए बैठी।


मोरे नैनो से,हो मोरे नैनो से निंदिया चुराई जिसने,मैं तो नैना उसी से लगाए बैठी।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे,

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