हाय कान्हा तेरी बांसुरी की हां दीवानी मैं। कान्हा दिल तुम पर चाहूं बारी-बारी में। जब से प्रीत लगी तुमसे, रहा जाए ना पाल हमसे। ऐसे तेरे मन के झूलों में, कान्हा मैं तो झूल गई। जब से कृष्णा तेरी हुई, मैं तो दुनिया भूल गई।जब से कृष्णा तेरी हुई, मैं तो दुनिया भूल गई।
हो मोर मुकुट माथे पे, दिल में है राधे राधे मरते हो तुम भी कृष्णा ,ना हमको जताते। तुम थोड़े से नटखट हो, थोड़े हो सीधे-साधे। हो कृष्णा है कृष्णा, तुम पर भी मरती है राधे। तेरे प्रेम की प्रीत की जीत के ,चुभ हमको जो शूल गए।जब से कृष्णा तेरी हुई, मैं तो दुनिया भूल गई।जब से कृष्णा तेरी हुई, मैं तो दुनिया भूल गई।
हे राधा मेरे मन में तुम, मेरे मन में दूजा कोई नहीं। प्रेम किया है बस तुमसे, और हमने पूजा कोई नहीं। हृदय के कण कण में हो तुम ,और आंखों में तुम ही तुम हो। कृष्ण में है प्राण तुम्ही से, सांसों में तुम ही तुम हो। प्रेम मंदिर में प्रेम कथा, वृंदावन सारा जाता है। हे राधे श्री राधे नाम यह, हमको बड़ा ही भाता है। जग है सारा मिट्टी का, कान्हा तुमको पाना चाहेगा। मोहन से ना होगे ,मोहन तुमसे जाना जाएगा।
कृष्णा कृष्णा है जग में तो ,राधे का सम्मान यहां। कृष्ण के इस धरती पर, राधे का क्या काम यहां। जग से हारे जग के मारे ,मेरा कृष्णा जीता जाए। मीरा जैसी और भी है जो, कृष्ण नाम की है घायल। हर पायल की छन-छन में, बस कृष्ण ही तो रहते हैं। कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा, कृष्णा ही तो रहते हैं।कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा, कृष्णा ही तो रहते हैं।कान्हा तेरी बांसुरी की हां दीवानी मैं। कान्हा दिल तुम पर चाहूं बारी-बारी में।कान्हा तेरी बांसुरी की हां दीवानी मैं। कान्हा दिल तुम पर चाहूं बारी-बारी में।