तर्ज, भगत के बस में है भगवान
भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ,भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
एक थी शबरी भक्तन, न्योछावर करके तन-मन। मतंग मुनि के संग में, करती थी प्रभु का कीर्तन। बागों से चुन चुन लाती, प्रभु को फूल चढ़ाती। गंगा के पावन जल से, रोज स्नान कराती। चरण धो के श्री राम का करती, चरण धो के श्री राम का करती, चरणामृत का पान। भाव के भूखे हैं भगवान।भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ,लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
मतंग शबरी को बताये, बहु भांति समझाए। सबर कर कुछ दिन शबरी, मिलन के दिन अब आये। रामजी तुमसे मिलेंगे, मेरी कुटिया में आ कर। शबरी को धैर्य बंधाकर, समाधि लिए गुरुवर। राम नाम में लीन हो गयी, राम नाम में लीन हो गयी, गुरु से पाकर ज्ञान। भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
राह में फूल बिछाती, वो मीठे बेर को लाती। मेरे प्रभु राम आएंगे, नैनों में सपने सजाती। राम से प्रीति लगा के, वो निशिदिन राम पुकारे ।उमरिया बीती जाये रे ,कि अँखियाँ पंथ निहारे। जर्जर हो गयी काया फिर भी, जर्जर हो गयी काया फिर भी, बसे राम में प्राण। भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
वो सुन्दर आसन लगा के, स्वच्छ कुटिया को सजा के। राह आँचल से बुहारे, प्रभु का ध्यान लगा के। और न अब तड़पाओ, राम मेरे आ भी जाओ। दरश बिन शबरी व्याकुल,राम मेरे आ भी जाओ। दरश बिन शबरी व्याकुल, राम मेरे दर्श दिखाओ। दरश की आस लगी मेरे प्रभु जी, दरश की आस लगी मेरे प्रभु जी, पूर्ण करो अरमान। भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
राम संग लखन को आते, देखि प्रभु को मुसकाते। प्रभु के पास में आयी, कुटिया से दौड़ लगा के। राम से मिलन हुआ जब, तो शबरी सुध बुध खो गयी। प्रभु के पाँव पकड़ के, भाव में विह्वल हो गयी।प्रभु के पाँव पकड़ के भाव में विह्वल हो गयी। ख़ुशी के आंसू से पग धोये, ख़ुशी के आंसू से पग धोये, भक्त न शबरी समान ।भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।भाव के भूखे हैं भगवान, भाव के भूखे हैं भगवान।
मन हो गर निर्मल भक्त का, प्रभु जी दौड़े आते। प्रसाद की बात करें क्या, वो जूठे बेर भी खाते। बात है ये तो सच्ची लेकिन, बात है ये तो सच्ची लेकिन, हम इस से अनजान। भाव के भूखे हैं भगवान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान। भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ,भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है, लाख करो गुणगान।