लखन सिया और बजरंगी संग, फिर से तन कर बैठेंगे। राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे। जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।
राम लला की मुग्ध यज्ञ में, हव्या त्रान के प्राण की बेला। रघुनंदन की चरण धूल से, अंबर के कल्याण की बेला। दुनिया धाम में देखेगी अब, तीन लोक के स्वामी को। पूर्ण हुई है अवधपुरी के ,मंदिर के निर्माण की बेला। अवधपुरी के जनमानस के, प्रेम से सन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।
यूं रोशन है जग सारा यह, मानो आज दिवाली है। दीप जलाकर तीव्र मिटाकर, मन की आस उछाली है। राम लला को धाम में उनके, अंबर दुनिया देखेगी। मां की श्रद्धा मंदिर के, आकार में ढलने वाली है। दीप जलाओ मंगल गाओ, विघ्न दमन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।राम अवध के सिंहासन पर, राजा बन कर बैठेंगे।
जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।जय सियाराम जय सियाराम, जय सियाराम जय सियाराम।