तर्ज, उड़ जा काले कावा
ओ महलों में रहने वाले खाटू वाले श्याम। दूर दूर तू बैठा रहता कैसे कहूं तुझे काम। तेरे दर पर भीड़ बहुत है पाते नहीं हो पांती। इतना बताओ सांवरिया क्या याद तुझे नहीं आती। तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।
इतने सालों तक मैं बाबा बोल नहीं पाया। बातें अपने अंदर कि मैं खोल नहीं पाया।इतने सालों तक मैं बाबा बोल नहीं पाया। बातें अपने अंदर कि मैं खोल नहीं पाया। मेरे मन में आए के, मैं तुझको भोग लगाऊं। दर पे तेरे भीड़ बहुत है आगे आ नहीं पाऊं।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।
ओ महलों में रहने वाले खाटू वाले श्याम। दूर दूर तू बैठा रहता कैसे कहूं तुझे काम। तेरे दर पर भीड़ बहुत है पाते नहीं हो पांती। इतना बताओ सांवरिया क्या याद तुझे नहीं आती। तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।तो ऐसा करो सांवरिया, तू घर आजा सांवरिया।