लिख परवाना भेजिया हनुमान बेगो आव रे, बजरंग बेगो आव रे।कोई रो लंका जावसी।सीता री खबरा लावसी।माता री खबरा लावसी।
मुंदरी लई ने हनुमत संचारया, डाकया छे इंद्र कोट रे ,डाकया छे पर्वत बाड़ रे।डाली से न्हाकी भाई मुंदरी,डाली सीता जी के पास रे। न्हाकि माता जी के पास में।
मुंदरी देखी ने दुख उघड़िया, ढलक्या से नैना से निर रे।नैना से निर रे, बजरंग आंसू पूछिया, हनुमान आंसू पुछिया।
इतना रुदन माता मत करो, हृदय में रखो धीरे रे।हृदय में रखो धीरे रे, बजरंग लेई घर जावसी, हनुमान लेई घर जावसी।
कठे सु आयो पंछी बांद्रा,काई छे थारो नाम रे।काई छे थारो नाम रे, किनारे भेजो ऑवीयो। कठे स आई थारे पास रे।
अयोध्या पुरी रो माता पावनो ,हनुमान म्हारो नाम रे। बजरंग म्हारो नाम रे ।राजा रामचंद्र जी भेजिया।राजा रामचंद्र जी भेजिया, बठ्ठा सु आई म्हारे पास में।
कैसे छे राजा लक्ष्मण, कैसे अयोध्या रो राज रे।कैसे अयोध्या रो राज रे। कैसे छे संग री सहेलियां, कैसे अयोध्या रा बाग रे। कैसे माता जी का बाग रे।
कुशल छे माता राम लक्ष्मण, कुशल अयोध्या रो राज रे।कुशल अयोध्या रो राज रे। कुशल संग री सहेलियां, कुशल सीता जी रा बाग रे। कुशल माताजी का बाग रे।।
कैसे मिलूं राम लक्ष्मण खडा छे इंद्र कोट रे।खड़ा छे पर्वत बाड़ रे। जठे रावण रो राज रे, जठे विभीषण रो राज रे।
रावण मारियो राजा राम जी, दीनों विभीषण राज रे।दीनों विभीषण राज रे, सीता ने ले घर आविया ,माता ने ले घर आवीया। हो रही छे मंगलाचार रे, हो रही छे जय जय कार रे।।