तर्ज,ये गोटेदार लहंगा
हाथों चुडलो माथे रखड़ी पैहरों नौसर हार जी। लूड लुड कर या घुमर घाले आंगनिया में आज जी।
म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है। नैना में काजल थारो कामन गारो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।
चोखा लागो आंगनिया में जब से घूमर घालो। ओढ़ चुनरी जोधाने री लहंगो जयपुर वालों।चोखा लागो आंगनिया में जब से घूमर घालो। ओढ़ चुनरी जोधाने री लहंगो जयपुर वालों। हाथों में चुड़लो थारे सबसु नियारों है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।
मायड़ थारी नजर उतारे वारी वारी जावे। चुड़लो बाजू बंद बोरिया, बिंदिया भलका खावे।मायड़ थारी नजर उतारे वारी वारी जावे। चुड़लो बाजू बंद बोरिया, बिंदिया भलका खावे। चालो हो पहर के पायल ठुमको ही न्यारों है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।
म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है। नैना में काजल थारो कामन गारो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।म्हारे तो बाई सा रो नखरो निरालो है।