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tulsi ji bhajan

Hari Aise Baso mere man mein Jaise Tulsi base Angan mein,हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में,tulsi ji bhajan

हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

हरि ऐसे बसो मेरे मन में, जैसे तुलसी वसी आंगन मेंहरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

जैसे फूलों में खुशबू है रहती। वह हमको नजर नहीं आतीजैसे फूलों में खुशबू है रहती। वह हमको नजर नहीं आती। ऐसी खुशबू फैला दो मेरे मन में। कोई देखे ना तुमको हम मेंहरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

जैसे मेहंदी में रंग है रहता। वह किसी को नजर नहीं आताजैसे मेहंदी में रंग है रहता। वह किसी को नजर नहीं आता। ऐसे रंग को रंगा दो मेरे मन मेकोई देखे ना तुमको हम में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

जैसे मिश्री में मीठा है रहता। वह किसी को नजर नहीं आताजैसे मिश्री में मीठा है रहता। वह किसी को नजर नहीं आता। ऐसे मीठा बना दो मेरे मन को।कोई देखे ना तुमको हम में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

जैसे सागर में पानी है गहरा। व किसी को नजर नहीं आत।जैसे सागर में पानी है गहरा। व किसी को नजर नहीं आता। ऐसा गहरा बना दो मेरे मन को।कोई देखे ना तुमको हम में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

हरि ऐसे बसो मेरे मन में, जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में, जैसे तुलसी वसी आंगन में।हरि ऐसे बसो मेरे मन में जैसे तुलसी वसी आंगन में।

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