नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है। अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।
तर्ज, थाली भरकर लाई खिचडो
पहले नवरात्रि में मां की सब मिल जोत जगाते हैं। दुजे नवरात्रों में सब मिल मां को भजन सुनाते हैं। तीजे नवरात्रि मेरी मैया अपना प्यार लुटाती है।अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।
चौथे पांचवे नवरात्रि में मैया झलक दिखाती है। छठे सातवें नवरात्रि में सिंह पर चढ़कर आती है। आठवे नवरात्रि में मां अपना प्यार लुटाती है।अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।
नवमी के दिन हलवा पूरी मां का भोग बनाते हैं। छोटी-छोटी नौ कन्या को निज हाथों से जीमाते है। पूरा हुआ नवरात्र उसका मां अंबे घर आती है।अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।
दसमी को जब हुई विदाई मां अपने घर जाती है। फिर आऊंगी नवरात्रि में सबको याद दिलाती है। शिव सुबोध आंखें हम सबकी देखो भर भर आती है।अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।
नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है। अपने भक्त पर ममता की शीतल छाया बरसाती है।शीतल छाया बरसाती है।नवरात्रों में मां जगदंबे जब धरती पर आती है।