तर्ज,लंबी जुदाई
बिछड़े कभी ना हम,
मेरे श्याम तुमसे जी ना सकूगा मैं सुन लो कसम से,जब भी मैं भटका तू बना सहाई,
मेरी आँख भर आई,बीते पलों की याद जो आई मेरी अंख भर आई,तूने दया जो मेरे श्याम बरसाई,मेरी आँख भर आई,
कैसे मैं भूलू कोई साथ नहीं था,
थामे जो ऐसा मुझे हाथ नहीं था,
आखिर में तूने पकड़ी कलाही,
मेरी आँख भर आई,
अनजान राहो में भटक रहा था ,
आन्ध्रों में दिल ये मेरा धड़क रहा था,
आखिर में तूने मुझे,
राह दिखाई मेरी आँख भर आई,
समज लिया क्यों आंसू मेरे बहते है,
हारे का साथी तुझे क्यों कहते है,
हारे हुयो को तूने जीत दिलाई,
मेरी आँख भर आई,
इस बेसहारे का सहारा बना तू, श्याम कहे भगतो का किनारा बना तू,
दुभि हुई नैया को पार लगाई,
मेरी आँख भर आई,
बिछड़े कभी ना हम,
मेरे श्याम तुमसे जी ना सकूगा मैं सुन लो कसम से,जब भी मैं भटका तू बना सहाई,
मेरी आँख भर आई,बीते पलों की याद जो आई मेरी अंख भर आई,तूने दया जो मेरे श्याम बरसाई,मेरी आँख भर आई,