आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में, ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में।
जान गए सब हुआ यशोदा के ललना, झूल रहा नन्द जी के अंगना में पलना, ढम ढम ढोल बाजे गूंजे है गगन में।ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में।आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में ॥
भोला भाला मुखड़ा है तीखी तीखी आँखें, घुंगराले बाल काले मनमोहन आँखे, जादू सा समाया कोई बांकी चितवन में,ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में।आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में ॥
देवता भी आए सारी देवियां भी आई है, नन्द और यशोदा को दे रही बधाई है, बात है जरूर कोई सांवरे ललन में, ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में। आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में ॥
सारे ब्रजवासी दौड़े दौड़े चले आ रहे, झूमे नाचे गाये सारे खुशियां मना रहे, ‘बिन्नू’ खुशियों के फूल खिले कण कण में।ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में।आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में,
आज है आनंद बाबा नन्द के भवन में, ऐसा ना आनंद छाया कभी त्रिभुवन में।