एक समय श्री राधिका देखो किया है विचार, देखो किया है विचार। आपा चला नंद जी के द्वारा जय जय कृष्ण हरि। और को पतलून पहन देखो बांधी है कटार,देखो बांधी है कटार, राधा बनी है थानेदार जय जय कृष्ण हरि।
आगे आगे पलटन चली देखो पीछे थानेदार,देखो पीछे थानेदार, जाकर रुकी नंद जी के द्वार जय जय कृष्ण हरि। अंदर से बाहर आई देखो नंद जी की नार,देखो नंद जी की नार, थारे द्वार खड़ी है थानेदार जय जय कृष्ण हरि,थारे द्वार खड़ी है थानेदार जय जय कृष्ण हरि,
ऐसा अनोखा लाल तू जन्यो सुन नंद जी की नार,सुन नंद जी की नार, सारे ब्रिज की आवे है पुकार जय जय कृष्ण हरि। दर्पण दर्पण हो गई देखो नंद जी की नार,देखो नंद जी की नार, छूप जावे कृष्ण मुरार जय जय कृष्ण हरि।छूप जावे कृष्ण मुरार जय जय कृष्ण हरि।
बाहर तू मत जइयो बेटा नंद कुमार, बेटा नंद कुमार, बाहर खड़ी है थानेदार जय जय कृष्ण हरि। अंदर से बाहर आए देखो लीला अवतार, देखो लीला अवतार, राधा जी ने देखा थानेदार जय जय कृष्ण हरि।राधा जी ने देखा थानेदार जय जय कृष्ण हरि।
ऐसी बजाई बांसुरी देखो लीला अवतार, देख खोलिया अवतार, राधा जी ने पटका हथियार जय जय कृष्ण हरि। जो कोई लीला तेरी गायियो मेरे कृष्ण मुरार, मेरे कृष्ण मुरार, करो भवसागर से पार जय जय कृष्ण हरि।करो भवसागर से पार जय जय कृष्ण हरि।करो भवसागर से पार जय जय कृष्ण हरि।करो भवसागर से पार जय जय कृष्ण हरि।
एक समय श्री राधिका देखो किया है विचार, देखो किया है विचार। आपा चला नंद जी के द्वारा जय जय कृष्ण हरि। और को पतलून पहन देखो बांधी है कटार,देखो बांधी है कटार, राधा बनी है थानेदार जय जय कृष्ण हरि।