गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।गलियां घर की मैं भूल गया हूं। मैं जब यमुना किनारे ,सांस तुमको पुकारे, तूने नजरे मिलाई उस रात में प्यारे । एक रात जो साथ बिताई, राते में सारी में भूल गया हूं।गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।
भजमन राधे राधे श्याम, भजन श्री वृंदावन धाम।भजमन राधे राधे श्याम, भजन श्री वृंदावन धाम।भजमन राधे राधे श्याम, भजन श्री वृंदावन धाम।
तेरी घुंघराली अलकों की छाया। और ऊपर यह मोर की काया।तेरी घुंघराली अलकों की छाया। और ऊपर यह मोर की काया। देख के तेरी प्यारी यह चितवन, चित अपनी में भूल गया हूं।गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।
तेरी मुरली की तान जब पहुंचे कान। मन को ऐसा लगे,मानो निकलेंगे प्राण।तेरी मुरली की तान जब पहुंचे कान। मन को ऐसा लगे,मानो निकलेंगे प्राण। बंसी तेरी यह जब से सुनी है,वाणी अपनी में भूल गया हूं।गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।
मैं खुद में तुझी को समा रहा हूं। मैं सांसों में भी तुमको ही पा रहा हूं।मैं खुद में तुझी को समा रहा हूं। मैं सांसों में भी तुमको ही पा रहा हूं।मैं सांसों में भी तुमको ही पा रहा हूं। जब से सांसों में तुमको है पाया, श्वास अपनी में भूल गया हूं।गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।
गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।गलियां घर की मैं भूल गया हूं। मैं जब यमुना किनारे ,सांस तुमको पुकारे, तूने नजरे मिलाई उस रात में प्यारे । एक रात जो साथ बिताई, राते में सारी में भूल गया हूं।गोविंद तेरी गलियों में आकर, गलियां घर की मैं भूल गया हूं।