दोहा,मैं तो विनती कर कर हार गयी
दीदार अभी तक नही होया
क्या सुनती थी तेरे द्वारे पर
इनकार अभी तक नही होया।।पापी पे इशारा रहमत का सरकार अभी तक नही होया।
एक चाह थी तेरे मिलने की
मैने और तो कुछ भी मांगा नही
मैं सुनती थी तेरे द्वारे पे
इनकार अभी तक नही होया।।
चित्त के चोर कान्हा हाए माखन चोर कान्हा,
कभी मेरी भी गलियाँ आओ ना ज़रा आओ ना।।
कोरी कोरी मटाकिन में ताज़ा ताज़ा माखन,
कब आओगे मेरे माखन को चाखन।
चोरी-चोरी दही खाओ ना जरा आओ ना,
हे चित के चोर कान्हा हाए माखन चोर कान्हा।जरा मेरा भी माखन चुराओ ना
जरा आओ ना हो चित चोर के कान्हा।
आजा आ आजा आजा आजा
आजा आ आजा आजा आजा
कोठे पे बैठी बैठ रस्ता निहारु
रास्ता निहारु मैं तो कबसे पुकारु।
ग्वालो को संग में लाओ ना
संग में आओ ना,ओ चित के चोर कान्हा
हाय माखन चोर कान्हा।
जरा भी मेरा माखन चुराओ ना
जरा आओ ना हो चित चोर के कान्हा।
तेरे दरश को मेरी आंखिया है प्यासी,
तेरे बिना दिल में छायी उदासी।
हो दर्शन की प्यास बुझाओ ना जरा आओ ना।
हे चित के चोर कान्हा हाए माखन चोर कान्हा।
सास ननंद का नहीं मुझको डर है,
तुझ बिन सूना मेरे दिल का ये घर है।
हो पागल को ज्यादा रुलाओ ना जरा आओ ना।
हे चित के चोर कान्हा हाए माखन चोर कान्हा।
जरा मेरा भी माखन चुराओ ना
जरा आओ ना हो चित चोर के कान्हा।