तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को। म्हारी रोज होवे मुलाकात में कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को।
तने सखी सहेली लागे से प्यारी राधे। तू झूठ कहे से मोहन की मारी राधे।तने सखी सहेली लागे से प्यारी राधे। तू झूठ कहे से मोहन की मारी राधे। कर गोलमोल सी बात,ओ राधा भूल गई कान्हा को। म्हारी रोज होवे मुलाकात में कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को।
तू कहती आऊं आऊं पर तू ना आती। मैं के करूं सखिया बि ना छोड़ी जाती।तू कहती आऊं आऊं पर तू ना आती। मैं के करूं सखिया बि ना छोड़ी जाती। मैं रहूं हिलाता हाथ,ओ राधा भूल गई कान्हा को। म्हारी रोज होवे मुलाकात में कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को।
तेरे रोज बहाने तैयार रहे ओ राधे। मन करे हुए कभी तोड़े न अपने वादे।तेरे रोज बहाने तैयार रहे ओ राधे। मन करे हुए कभी तोड़े न अपने वादे। गई सावन की बरसात,ओ राधा भूल गई कान्हा को। म्हारी रोज होवे मुलाकात में कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को।
महेंद्र भट्टी मेरी धड़कन ने पहचान जरा। कुछ मेरी भी मजबूरी से तू जान जरा।महेंद्र भट्टी मेरी धड़कन ने पहचान जरा। कुछ मेरी भी मजबूरी से तू जान जरा। मेरी छोह में आवे मात, मैं कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को। म्हारी रोज होवे मुलाकात में कैसे भूल गई कान्हा को।तु रह सखियों के साथ ओ राधा भूल गई कान्हा को।