तर्ज, मेरे रश्के कमर
हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया। बात ही बात में भादो की रात में, प्रगटे जब मुरली वाले आनंद आ गया।हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया।
नभ से बरसे सुमन श्याम बन गए ललन, खेल हो गए निराले आनंद आ गया।नभ से बरसे सुमन श्याम बन गए ललन, खेल हो गए निराले आनंद आ गया। थे सिपाही खड़े द्वार पर जो अड़े, सो गए पहरे वाले आनंद आ गया।हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया।
देवकी डर रही ठंडी आह भर रही।देवकी डर रही ठंडी आह भर रही। मां के दुःख दर्द मिटा,आनंद आ गया। लेकर वासुदेव जी कृष्ण को है चले, टोकरी में संभाले आनंद आ गया।हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया।
सांवली छवि छटा,छाई नभ पे घटा।सांवली छवि छटा,छाई नभ पे घटा।मेघ गरजे जो काले,आनंद आ गया,
उतरे जमुना में जब,डरे वसुदेव तब,चूमे जमुना चरण तो,आनंद आ गया।।
पहुंचे गोकुल किशन,माँ यशोदा प्रसन्न।पहुंचे गोकुल किशन,माँ यशोदा प्रसन्न।लख्खा देता बधाई,आनंद आ गया,
पालने में पड़ा,पालनहारी हरी,नन्द बाबा कहे की,आनंद आ गया।।
हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया। बात ही बात में भादो की रात में, प्रगटे जब मुरली वाले आनंद आ गया।हाथों की हथकड़ी पांव की बेड़ियां। खुल गए स्वयं ताले आनंद आ गया।