ना करी रिस ना रोई तूं, तेरे आंखयां में उत्र्यो लोई क्यों। ना फर्क आज और बीता में, मैं सागे ही तेरे ना कोई तू। तेरे नाम कि मेरी मांग सजी ,तुझे जन्म जन्म में मांग चुकी। हर जुग-जुग सुख तेरी छांव करें। मैं डोर प्रीत की बांध चुकी। विश्वास मेरा तुझ पर भोले, हर जन्म में तुझको ही पाऊंगी। नहीं सफर आखिरी कांटे पर, मैं लौट के वापस आऊंगी। हो शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरे साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।
ना चाह स्वर्ण या हीरा की, मैं रानी तेरे कबीला की। हुई भाग्य की स्वामी चौतरफा, स्वामी में बर्फ कटीला की। जिस सभा तेरा अपमान होए, उस सभा में मेरे प्राण बहे। ना प्रीत मुझे इस काया की, मेरे चित् में तेरा नाम बसे। जो उठे आंच तेरी आन पे शिव, हर बार में अग्नि नहाऊंगी। नहीं सफर आखिरी कांधे पर, मैं लौट के वापस आऊंगी।शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरे साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।
यह हवा जो चलती रुकी है क्यों, यह पंछी चहकते दुखी है क्यों। ओ मेघराज यों बिन खोना पेड़ों की शाखा झुकी है क्यों। मैं बनी छांव शंभू की सुहानी। कमल को जल से हेत पुरानी। शिव से अलग ना सती कभी, हुई अमर मेरी प्रेम कहानी। अंबर करुणा है मेरी, मैं गीत प्रेम के गाऊंगी।नहीं सफर आखिरी कांधे पर, मैं लौट के वापस आऊंगी।शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है।शंभू शंभू हर डगर डगर तेरे साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।
शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।शंभू शंभू अभी प्रेम कहानी बाकी है। शंभू शंभू हर डगर डगर तेरी साथी में।