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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Shiv Shankar damru wale,शिव शंकर डमरू वाले,shiv bhajan

शिव शंकर डमरू वाले

शिव शंकर डमरू वाले पीते हैं भंग के प्याले। देवों में देव निराले, हैं बाबा शमशानीशिव शंकर डमरू वाले पीते हैं भंग के प्याले। देवों में देव निराले, हैं बाबा शमशानी।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।

लंबी लंबी जटा है धारे रूप बड़ा अलबेला। भूत प्रेत बेताल के संग में रखते हरदम मेला।लंबी लंबी जटा है धारे रूप बड़ा अलबेला। भूत प्रेत बेताल के संग में रखते हरदम मेला। कैलाश पर रहने वाले यह तो है वरदानी।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।शिव शंकर डमरू वाले,

एक तो विषधर गले में उस पर, है विष कंठमे धारे। थरथर कांपे देव असुर सब इनके क्रोध के मारे।एक तो विषधर गले में उस पर, है विष कंठमे धारे। थरथर कांपे देव असुर सब इनके क्रोध के मारे। कर में है त्रिशूल संभाले यह तो अंतर्यामी।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।शिव शंकर डमरू वाले,

धीरज धारे रहती हरदम व्याकुल कभी ना होते। इनकी कृपा से सब भक्तों के वारे न्यारे होते।धीरज धारे रहती हरदम व्याकुल कभी ना होते। इनकी कृपा से सब भक्तों के वारे न्यारे होते। दीवाने और दिलवाले सब उनके बरगामी।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।शिव शंकर डमरू वाले,

शिव शंकर डमरू वाले पीते हैं भंग के प्याले। देवों में देव निराले, हैं बाबा शमशानी।शिव शंकर डमरू वाले पीते हैं भंग के प्याले। देवों में देव निराले, हैं बाबा शमशानी।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।बाबा औघड़ दानी,तेरे रहते खेल निराले।

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