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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

main kab se Khadi hun Dar per tere mere Bhole Tujhko Dhyan Nahin,मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,shiv bhajan

मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

तर्ज, महावीर तुम्हारे द्वारे पर

मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं। क्या मैं भक्त नहीं तेरी या तू मेरा भगवान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

सुनती हूं तो दुखनासी है, सुखकारी घट घट वासी है।सुनती हूं तो दुखनासी है, सुखकारी घट घट वासी है। फिर कैसे कहूं मैं नाथ तुम्हें संकट मेरे का ज्ञान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

जो जन तेरी शरण में आता है ,वह मनवांछित फल पाता है।जो जन तेरी शरण में आता है ,वह मनवांछित फल पाता है। मैं भी तेरी शरण में आई हूं मुझको मिलता कुछ दान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

दर छोड़ तेरा अब कित जाऊं, जन दिन ना कछु कर पाऊंदर छोड़ तेरा अब कित जाऊं, जन दिन ना कछु कर पाऊं। नादान सही में है भगवन पर इतनी तो नादान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं। क्या मैं भक्त नहीं तेरी या तू मेरा भगवान नहीं।मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं।

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