गुड मिश्री का थाल सजाया आंगन चौक पूराया जी। शहर सजाया गली सजाई नैना राह बिछाया जी। मैं बड़े चाव से ओढ़ी सा,मैं बड़े चाव से ओढ़ी सा। जो लाल चुनरी लाया। वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।
मंद मंद जो मुसकावे, म्हाने कृष्ण कन्हैया लागे सा।मंद मंद जो मुसकावे, म्हाने कृष्ण कन्हैया लागे सा। जान से प्यारा सबसे न्यारा, म्हाने म्हारा वीरा लागे सा। भाभी भतीजा आंगने में जी चार चांद लगाया।वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।
बीकानेर मुलाई सा और जयपुरिया रंगबाई हो। देखरेख में हुई सारी तारा जड़ी कढ़ाई हो।बीकानेर मुलाई सा और जयपुरिया रंगबाई हो। देखरेख में हुई सारी तारा जड़ी कढ़ाई हो। रंग कुसुमल सोवनो जी अल्ला पल्ला पर मोर बनाया।वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।वीरा म्हारा भात भरण ने आया। वीरा म्हारा मायरो भरण ने आया।