मंदो चाले बायरो या फागण की रुत आई जी। बैठया उड़ीके सेवक थारा थासु अर्जी लगाई जी। मनड़ो करे पुकार सांवरा, मत ना करो विचार, म्हाने बुलवा लो दरबार, फागुन रुत आई जी, आई जी।
खाटू के दरबार बैठयो ,सांवरिया सरकार, उड़ रही, रंगा की बौछार,फागुन रुत आई जी, आई जी।
जद से थारी सूरत देखी, राता नींद ना पाई जी। सज धज कर सिंहासन बैठयो म्हारे काई समाई जी।महक रहयो दरबार थारो, फूला को सिंगार थारो, सूरत कामनगार,फागुन रुत आई जी, आई जी।खाटू के दरबार बैठयो ,सांवरिया सरकार, उड़ रही, रंगा की बौछार,फागुन रुत आई जी, आई जी।
फागणियो रंगीलो महीनों सेवक चंग बजावे जी। मंदिर माही घूमर घाले मीठे भजन सुनावे जी। उड़ रहयो रंग गुलाल, हो रही इत्तर की बौछार, देखो गूंजे जय जयकार,फागुन रुत आई जी, आई जी।खाटू के दरबार बैठयो ,सांवरिया सरकार, उड़ रही, रंगा की बौछार,फागुन रुत आई जी, आई जी।