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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Pata Nahi Kis Roop Me Aakar Shiv Shankar mil jayega,पता नहीं किस रूप में आकार शिव शंकर मिल जाएगा,shiv bhajan

पता नहीं किस रूप में आकार, शिव शंकर मिल जाएगा

पता नहीं किस रूप में आकार, शिव शंकर मिल जाएगा।निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा


नर शरीर अनमोल है बंदे, शिव कृपा से पाया है।
झूठे जग प्रपंच में पड़कर, क्यों जग को बिसरया है।शिव शंकर का महामंत्र हाय, साथ तुम्हारा रहेगा।निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा।पता नहीं किस रूप में आकर, शिव शंकर मिल जाएगा।निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा।



झूठ कपट निंदा को त्यागो, हर प्राण से प्यार करो।घर पर आये अतिथि कोई तो, यथा शक्ति सत्कार करो।भोले इतना दीजिए, जामे कुटुंब समा जाए।में भी भूखा न रहु, साधु भी न भूखा जाये।पता नहीं किस रूप में आकर, शिव शंकर मिल जाएगा।निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा।



दौलत का अभिमान है झूठा, ये तो आनी जानी है।राजा रंक अनेक हुए, कितनी सुनी कहानी है।
निश्चय है तो भवसागर से, बेड़ा पार हो जाएगा।
निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा।पता नहीं किस रूप में आकर, शिव शंकर मिल जाएगा।निर्मल मन के दर्पण में,महाकाल के दर्शन पायेगा।

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