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krishna bhajan lyrics कृष्ण भजन लिरिक्स

Malin Hui me sari,मलिन हुई मैं सारी,krishna bhajan

मलिन हुई मैं सारी

काहे ना सुनो प्रभु इस हीए कि पिड। दीजो प्रेम में हम करो ना मुझे अधीर।

रिझाऊं कैसे है सखी अपने प्रभु को।रिझाऊं कैसे है सखी अपने प्रभु को। मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी। अवगुण मुझ में ना जाने कितने, मैं तो अपने से हारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।

आओ रोज द्वारे मैं तेरे सो सो दीप जलाऊं।आओ रोज द्वारे मैं तेरे सो सो दीप जलाऊं। मारु ना जाने कितने फेरे। फिर भी है चित्त में अंधेरे। तू ही बता प्रभु तुझको रिझाऊं कैसे।तू ही बता प्रभु तुझको रिझाऊं कैसे।मैं तो अपने से हारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।

सज सवर के चली मैं अपने प्रभु को मिलने।सज सवर के चली मैं अपने प्रभु को मिलने। भटकी ना जाने कहां में। ढूंढूं दर-दर मारी। तू ही बता प्रभु तुझको रिझाऊं कैसे, माया सौत हमारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।

तुमसे है रचित मेरी प्रीति कबूलो मेरी।तुमसे है रचित मेरी प्रीति कबूलो मेरी। कर दो मुझे अब पावन, देकर चरणों की धूली। तुम ही पार लगाओ प्रभु मुझको ऐसे में।मैं तो अपने से हारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।

रिझाऊं कैसे है सखी अपने प्रभु को।रिझाऊं कैसे है सखी अपने प्रभु को। मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी। अवगुण मुझ में ना जाने कितने, मैं तो अपने से हारी।मलिन हुई मैं सारी।मलिन हुई मैं सारी।

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