तर्ज, अफ़साना लिख रही हूँ
इस मंदिर जैसा और नहीं,पूरे संसार में।
हर अर्ज़ी होती पूरी,यहाँ पहली बार में।
रखते ख्याल बाला जी ,हर सेवादार का,
वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना, बालाजी सरकार का,वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का।क्या कहना वाह क्या कहना।
झुकते हैं रोज़ हज़ारों, मेहंदीपुर धाम में।
है अगम अगोचर शक्ति, सालासर धाम मे।
भूतों और प्रेतों को भी ,डर इनकी मार का,
वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना,बालाजी सरकार का,वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना।
इस धाम की मिटटी भी,पावन पुनीत है।
यहाँ रहते बाला जी के,हर ज़ुबान पे गीत हैं।
संकट हरते बाला जी ,
भक्तों के परिवार का,
वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना,बालाजी सरकार का,वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना,
यहाँ आकर दिल को धीरज, मिलता अपार है।
जो है इनका दीवाना, यह उनका विचार है।
कल्याण करे बाला जी ,
पूरे परिवार का,
वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना,बालाजी सरकार का,वस गया है, जलवा दिल में, तेरे दरबार का,
क्या कहना वाह क्या कहना।