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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Me daani banu,अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं,shiv bhajan

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं।

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन,शिव शंकर के करता रहूं में भजन।

निस्वार्थ राहे दिखाया करु, हर प्यासे को पानी पिलाया करु। संतुष्टि में जीता रहूं ये जीवन। शिव भोले के करता रहूं में भजन।

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव शंकर के करता रहूं में भजन।अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव शंकर के करता रहूं में भजन।

जो निरलज्ज है वह है एक मांसाहारी।जो निरलज्ज है वह है एक मांसाहारी। निर्बल को सताए वह अत्याचारी। कितने भी तू कर ले यह भक्ति भजन। बच ना सकेगा आएगी जब तेरी बारी। वह हंसता नहीं वह बस रोता ही था। उस प्राणी को बस दर्द होता ही था। तेरे घर में महीनों तक था जो पला। त्योहारों पर काटा उसका ही गला। हर प्राणी का सेवक सहारा बनू। दुखियों का में जीवन संवारा रूं।सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन,शिव शंकर के करता रहूं में भजन।

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।

संपूर्ण सदैव और स्वाभिमानी। मेरे कर्मों से ना हो किसी को हानि। उपहार के रूप में मौत मिले। अगर मैं करूं कोई बेईमानी। कहते हो भगत पर पीते शराब। मदहोशी और मैं से मरने को बेताब। अपना और दूजे का जीवन खराब। होना है हर एक कर्म का निश्चित हिसाब। माता के मंदिर में जन्मा हूं मैं। शिव शंकर की मुझ पर रही है कृपा। ऐसी भक्ति का मुझको अवसर मिला। हर बेजुबा की करता रहा मैं सेवा।

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।

प्रभु के दर पर जाकर तु पाप कैसा कर गया। जो बेसहारा बेजुबा के पीठ पर तू चड गया। निशक्त जिंदा जानवर की बेबसी को रोककर। स्वर्ग जाने के लिए नरक की ओर बढ़ गया। प्रभु के दर पर जाकर हे तु पाप कैसा कर गया।प्रभु के दर पर जाकर हे तु पाप कैसा कर गया।

अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।अभिलाषा है मैं एक दानी बनूं। मुझसे तृप्त हर एक प्राणी हो। सत कर्मों में सेवा में बीते जीवन।शिव भोले के करता रहूं में भजन।

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