तर्ज,झुमका गिरा
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में ।
जो भी पहले मंदिर आता पहले मुझे बजाता।जो भी पहले मंदिर आता पहले मुझे बजाता।
पहले मुझे बजाता फिर तेरे दर्शन है पाता।सच्चे भाव से है जो भी आता भवसागर तर जाता। मैं कहीं ना डोला रे मेरे भोले के दरबार से ।
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में ।
तू पत्थर की बनी मूर्ति में पीतल का घंटा।
लोहे की जंजीर में जकड़ा पड़ा है फांसी का फंदा।भोले भोले कहते-कहते जीवन बीता जाए।
फिर भी बजता रे मेरे भोले के दरबार में ।
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में ।
थी घनघोर घटा मंदिर में शोर मचाया भारी ।
शंख और घड़ियाल बजाकर भक्त तेरे गुड़ गाएं।
रात दिनों में करता रहता भोले की चौकीदारी।
मैं फिर भी पीटता रे मेरे भोले के दरबार में।
मैं हरदम पिटता रे मेरे भोले के दरबार में।
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में
घंटा बोले रे मेरे भोले के दरबार में।