छन छन करती नन्ही परी जब दौड़ी दौड़ी आती है। खिल जाता है परिवार जब बेटियां मुस्काती है। चंदा से प्यारी गुडिया, लक्ष्मी मेरे घर आंगन की, जगमग करती मेरी दुनिया, रौनक यह हर सावन की। ओ बेटियां रानी मेरी, तूं ही मेरा सम्मान है।ओ बेटियां रानी मेरी, तूं ही मेरा सम्मान है।
बेटी के जहां पांव पड़े आंगन में गूंजे किलकारी।बेटी के जहां पांव पड़े आंगन में गूंजे किलकारी। है भाग्यलक्ष्मी है बरकत वह सुने घर में खुशियां सारी। वह मां का हाथ बटाती, वह पापा को समझाती। परिवार की हर उलझन को बेटियां सुलझाती। ओ बेटियां तेरे होने से जन्नत सा लगता है यहां।ओ बेटियां तेरे होने से जन्नत सा लगता है यहां।
वो आसमां छू जाए मां-बाप जो साथ निभाए। दो कुल को रोशन कर दे जब बेटी नाम कमाए।ओ बेटियां रानी मेरी, तूं ही मेरा अभिमान है।।ओ बेटियां रानी मेरी, तूं ही मेरा अभिमान है।
वो साज संवारे जीस घर को छोड़ उसे उड़ जाती है।वो साज संवारे जीस घर को छोड़ उसे उड़ जाती है।बेफिकर थी जिस आंगन में वहां जिम्मेदार कहलाती है।पापा की उंगली थामे,मम्मी की नसीहत माने,वो छन छन करती गुडिया अब रिश्तों की डोर सम्हाले। ओ बेटियां कैसे दे बिदाई अब,लगे सुना सुना यहां।हो खुशियां तेरी झोली में ,स्वस्ति हो तेरा जहां।हो बेटियां ,बेटियां मेरी तुझसे रोशन मेरा जहान।तुझसे रोशन मेरा जहान।