बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले। आज नहीं मैं टेरूंगा स्वामी, बोले या ना बोले रे ।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।
भाल चंद्रमा चम चम चमके, छवि मुखड़े की न्यारी है। मेरे मतवाले शंकर की, शोभा जग में न्यारी है। नीलकंठ डमरू धारी के, नाग गले में डोले रे । बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।
कोई नहीं तुमसा है दानी, हमने सुना है पुराणों में। औघड़दानी नाम रटें सब, वेद और गानों में। खोल दिए भंडार उसे तुम, नाम तुम्हारा जो ले रे। बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।
बड़ी दूर से मैं आया हूं, रज चरणों की पाने को। फूटी किस्मत लेकर आया, अपनी आस जगाने को। टूट पड़े हैं भक्त ये तेरे, दुःख के बादल काले रे। बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले।
हैं त्रिपुरारी डमरू धारी, देवन के महादेव प्रभु। छोड़ चरण अब आपका स्वामी, बोलो किसकी आस करूं। हम अपने नैनों के जल से, श्री चरणों को धो लें रे। बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले ।बड़ी देर भई बम भोले, क्यों नैना नहीं अब खोले। आज नहीं मैं टरूंगा स्वामी, बोले या ना बोले रे ।
*