पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला। देखकर भये देवता दंग, चढ़ा है आज भंग का रंग।
कैलाशी का डमरू बाजे। देखन को सब देव है वीराजे।कैलाशी का डमरू बाजे। देखन को सब देव है वीराजे। झूम रही है चारों ऋतु, शिव का नृत्य सोना साजे। जटा में खेल रही है गंग,चढ़ा है आज भंग का रंग।पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,
बम बम भोले बम बम भोले, भोले शिव बम बम भोले।
अटल समाधि लाने वाले करते देखो खेल निराले।और देवता करे न ताण्डव भोले बाबा है मतवाले। गले में नाचे कई भुजंग,चढ़ा है आज भंग का रंग।पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,
डमरु के संग ताल मिला के, नृत्य के कई रूप दिखा के। चहूं दिशा जयकार भई है, कमल सिंह शिव दर्शन पाके। यह गाये मस्ती भरी उमंग,चढ़ा है आज भंग का रंग।पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला,
पीके भरा भांग का प्याला भोला नाचे हो मतवाला। देखकर भये देवता दंग, चढ़ा है आज भंग का रंग।