कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।
भुज के खंभ और प्रेम के रस से,भुज के खंभ और प्रेम के रस से ।
तन-मन आजु झुलाओ रे ।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।
नैनन बादर की झर लाओ ।नैनन बादर की झर लाओ ।श्याम घटा उर छाओ रे ।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।
आवत आचत श्रुत की राह पर ।आवत आचत श्रुत की राह पर ।फिकर पिया को सुनाओ रे ।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो। कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो। पिया को ध्यान चित लाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।कोई प्रेम की पेंग झुलाओ रे।