बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी, द्वारकापुरी सु लाया साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी, द्वारकापुरी सु लाया साड़ी।
साड़ी तो लाए कान्हा राधा जी ने दिनही।साड़ी तो लाए कान्हा राधा जी ने दिनही।राधाजी तो होया घणा राजी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो पहर राधा रसोड़ा में चाली।साड़ी तो पहर राधा रसोड़ा में चाली। सासूजी सराय सरला साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो पहर राधा मिंदरा में चाली।साड़ी तो पहर राधा मिंदरा में चाली।ठाकुरजी सराई सरला साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो पहर राधा पाणीडे ने चाली।साड़ी तो पहर राधा पाणीडे ने चाली। पनिहारन सराई सरला साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो पहर राधा महलों में चाली।साड़ी तो पहर राधा महलों में चाली। सांवरियों सराई सरला साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
या साड़ी राधा आड़े दिन मत पहरों।या साड़ी राधा आड़े दिन मत पहरों। पहराें पहरोंं होली रे त्योहारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
इत्त्रो कहे नी राधा खोल दीनी साड़ी।इत्त्रो कहे नी राधा खोल दीनी साड़ी।खुंटिया में टांग दीनी साड़ी,बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो लेई सांवरों गुजरडी ने दीनी।साड़ी तो लेई सांवरों गुजरडी ने दीनी।गुजरडी रे मन घणी भाई।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
या साड़ी गुजर दिन में मत पेहरो।या साड़ी गुजर दिन में मत पेहरो। पहराे पहरो रैन अंधेर।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
साड़ी तो पहर गुजर पाणीडा ने चाली।साड़ी तो पहर गुजर पाणीडा ने चाली।राधा रानी देख लीनि साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
या साड़ी गुजर कठहे सु तूं लाई।या साड़ी गुजर कठहे सु तूं लाई।काई थारे मायरे में आई।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।काई थारा बीरोसा मुलायी,बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी
नही ओ राधाजी म्हारे मायरा में आई।नही ओ राधाजी म्हारे मायरा में आई।नही म्हारा बिरो सा मुलाई,बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
म्हारे कानी बरसों कान्हो माखन खायो।म्हारे कानी बरसों कान्हो माखन खायो। उन साटे दीनी सरला साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
इतरो कहयो नी राधा खोस लिनी साड़ी।इतरो कहयो नी राधा खोस लिनी साड़ी। गुजरडी ने कर दी उघाड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
मिंदरीय में बैठया बैठया कानजी मुलकिया।मिंदरीय में बैठया बैठया कानजी मुलकिया। आच्छी ये करी ये राधा रानी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
काई ओ सांवरिया थाने गूजर प्यारी लागे।काई ओ सांवरिया थाने गूजर प्यारी लागे।काई थाने राधा लागे खारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
नही ओ राधा जी म्हाने गुजर प्यारी लागे।नही ओ राधा जी म्हाने गुजर प्यारी लागे।नही म्हाने राधा लागे खारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
नहीं औ राधा जी म्हारो मान थारो मोह लियो।नहीं औ राधा जी म्हारो मान थारो मोह लियो। गुर्जर मने हिवडे में प्यारी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
साड़ी तो गावे जारो बैकुंठा रो बासो।साड़ी तो गावे जारो बैकुंठा रो बासो। सुनियो सदा ही सुख पावे।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
क्वारी तो गावे जाने घर वर पावे।क्वारी तो गावे जाने घर वर पावे। परण्योडी पुत्र खिलाए।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
बूढ़ी तो गावे जाने गंगा जमुना नहाए।बूढ़ी तो गावे जाने गंगा जमुना नहाए। सुनियो सदा ही सुख पावे।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी।
द्वारकापुरी सु लाया साड़ी।बनवारी ओ म्हारा कृष्ण मुरारी, द्वारकापुरी सु लाया साड़ी।