हारे को तूं जीताता हर कोई यह कह रहा है। हारे से भी मैं हारा तूं कैसे सह रहा है।
ओ श्याम खाटू वाले कब से तुम्हें पुकारे। हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।ओ श्याम खाटू वाले कब से तुम्हें पुकारे। हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।
गम की इन आंधियों में तिनका भी ना बचा है। जो कुछ था पास मेरे सब कुछ ही लुट चुका है।गम की इन आंधियों में तिनका भी ना बचा है। जो कुछ था पास मेरे सब कुछ ही लुट चुका है। बाकी है लाज इसको गर हो सके बचा ले।हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।ओ श्याम खाटू वाले कब से तुम्हें पुकारे। हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।
पतवार थामने का हाथों में दम नहीं है। आजा कन्हैया नौका मझधार में फंसी है।पतवार थामने का हाथों में दम नहीं है। आजा कन्हैया नौका मझधार में फंसी है। बन करके माझी इसका ले चल इसे किनारे।हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।ओ श्याम खाटू वाले कब से तुम्हें पुकारे। हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।
आंखों से निर की अब बरसात हो रही है। क्यों देर कर रहे हो सांसे भी खो रही है।आंखों से निर की अब बरसात हो रही है। क्यों देर कर रहे हो सांसे भी खो रही है। आकर कमल को अपने सीने से तु लगा ले।हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।ओ श्याम खाटू वाले कब से तुम्हें पुकारे। हमको भी दे सहारा ओ हारे के सहारे।