छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी। कृपा तुम कर दे भारी, मुझ पर मेरे गिरधारी। जन्मों से हूं मैं कान्हा तेरा पुजारी।छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी।
मैने कुटिया आज बुहारी, बैठा देखूं राह तुम्हारी, नैन लगे हैं रोने। हो महलों में रहने वाले हम हैं तेरे चाहने वाले, आजा श्याम सलोने। मैं हूं सेवक तेरा तू है मालिक मेरा। हो सदियों से मैं हूं तेरा दर का भिखारी।छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी।
रुखा सुखा जो बन पाया मैंने मोहन आज बनाया, आकर भोग लगा जा।हो लोटा भर के छाछ चढ़ा ले ठंडे जल से प्यास बुझा ले, ओ सांवरिया आजा। यह दोपहरी जले ठंडी छांव तले, हो कुटिया में मेरी आकर बैठो मुरारी।छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी।
झाड़ पौंछ कर खाट बिछाई आजा प्यारे श्याम कन्हाई,आके लेट लगा ले। तुमको पंखी श्याम झुलाऊं होले होले चरण दबाऊं, थोड़ा सा सुस्ता ले। हर्ष अर्जी करूं सब से विनती करूं, सेवक को ना तरसाओ श्याम बिहारी।छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी।
छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी। कृपा तुम कर दे भारी, मुझ पर मेरे गिरधारी। जन्मों से हूं मैं कान्हा तेरा पुजारी।छोटी सी कुटिया मेरी आने में क्या है देरी। दिनों के घर जाने की कान्हा आदत है तेरी।