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Rang me hori kaise khelu ri ja sawariya ke sang,रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग,krishna bhajan

रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।

रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।


कोरे-कोरे कलश मँगाये उनमें घोरौ रंग। भर पिचकारी ऐसी मारी चोली हो गई तंग॥ रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।


नैनन सुरमा दाँतन मिस्सी रंग होत भदरंग। मसक गुलाल मले मुख ऊपर बुरौ कृष्ण कौ संग॥ रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।


तबला बाज सारंगी बाजी और बाजी मृदंग। कान्हा जी की बाँसुरी बाजे राधाजी के संग॥ रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।


चुनरी भिगोये, लहँगा भिगोये छूटौ किनारी रंग। सूरदास कौ कहा भिगोये कारी कामर अंग॥ रंग मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग।

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