पंचम रूप में स्कंदमाता लेकर आती खुशहाली। बंजर में भी फूल खिले चारों और छाई हरियाली। उप वनों की दया सिंधु तू मंगलकारीनी मा। दैत्य वाहिनी वैभवशाली जय जगदंबे मां।
जोगन रूप में पद्मासन में मैया तुम् हें सुशोभित। चारों दिशाओं में वरदायिनी है तेरी महिमा है गुंजित। मेरे सर पर रख दो हाथ, मुझे मैया कर दो सनाथ। सुख वैभव की अधिष्ठात्री तुम हो अंबे मां। पंचम रूप में स्कंदमाता जय जय जय हो मां।
गात्री कि तुम अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देने वाली। असुरों के संधारित हे तु मैया शेरोवाली। अलसी का भोग लगाऊं तेरी मंगल गाथा गाऊं। कर में कमल तु बर मुद्रा में सूर्य मंडल की मां।पंचम रूप में स्कंदमाता जय जय जय हो मां।
पंचम रूप में स्कंदमाता लेकर आती खुशहाली। बंजर में भी फूल खिले चारों और छाई हरियाली। उप वनों की दया सिंधु तू मंगलकारीनी मा। दैत्य वाहिनी वैभवशाली जय जगदंबे मां।